Happy Independence day to you all!!
So as India turned 62 today, we all pray that it remains unharmed from the tensions building up all over the globe, the terrorist attacks, the bombings,nuclear wars etc and need not mention; the Flu!! I was just going through my diary and found one old composition, written around 4 yrs back, related to growing terrorism in the country.Today on I-day, I would like to share this with you. This is highly inspired by the way Mr. Gulzaar writes, I wanted to copy his style but am not sure whether i have succeeded in doing so..Pls read and find out !!
अधूरे ख्वाब !
उस रात मुझे नींद बहुत अच्छी आयी
कुछ अरमानो और कुछ ख्वाबों के साथ सोया
सोच रहा था , कितना खुशनसीब हूँ मैं
जो इस ज़िन्दगी में,मैंने सब है पाया, कुछ न खोया !!
कुछ अरमान थे मेरे कि अब हर जगह हो खुशहाली
मन में न हो कोई नफरत , कोई दिल न हो प्यार से खाली
इतना प्यार हो कि सुकून हर दिल में भर जाए
यह प्यार आँखों में आंसू बनके उमड़ आये
क्यूंकि यह आँखें कब से ग़म के आंसू बहा रहीं हैं
अब इन आँखों में भी तोह ख़ुशी की बहार आये
और इस बहार में इतनी हो ताक़त
कि यह नफरत के पतझड़ को अपनी भुजाओं में जकड जाये !!
इक ख्वाब देखा सुनहरे कल का
जिसमें एक भी अंश न हो बीते पल का
क्यूंकि बीते पल को ही तोह ग़म का लम्हा कहा है
जिसमें कभी आंसू तोह कभी लहू बहा है
किसी कि नादानी में किसी के प्रतिशोध में
कभी सरहद के इस पार , कभी उस पार
बहती रही है सदा, यह लहू की धार !!
अब तो बस येहीं चाहूं मैं कि कोई दामन लहू से लाल न हो
लाल हो !! तो हो रंगों से , गुलाल से
बिछड़े पंछी भी लौट के आयें अपनी डाल से
और बनाये मिलकर इक प्यारा सा घोंसला
नफरत को मिटा के प्रेम को बढ़ने का दें हौसला !!
इस तरह प्यार अगर पनपेगा
गोरी कलाई में चूड़ी बनके खनकेगा
तो कितनी खुश होगी यह दुनिया
यह दुआ है मेरी बस फैले खुशियाँ ही खुशियाँ !!
अचानक आँख खुली तो देखा सवेरा हो चुका था
चाँद भी रौशनी में खो चुका था
अँधेरा अपनी गहराइयों को समेट के कुछ देर पहले सो चुका था !
फिर कुछ सुना ! जैसे कोई रोया हो
लगा शायद आज फिर किसी ने कुछ खोया हो
पता चला कि बीती रात सरहद पर कुछ गोलियां थी चली
कुछ ख्वाब दफनायें गए कुछ अरमान मार डाले
और इस तरह सुबह कि लाली पे ग़म की बदरा छा गयी!
यह ख्वाब वहीँ थे जो मैंने देखे थे
हाय!! इन्हें पूरा होने से पहले ही मौत आ गयी !!
इसी बात का तो रोना है दोस्तों
कुछ पता नहीं इस हार जीत के खेल में किसने किसको मारा
कोई न कोई जीता तो ज़रूर लेकिन इस जंग में हमेशा इंसान ही हारा !!
अधूरे ख्वाब !
उस रात मुझे नींद बहुत अच्छी आयी
कुछ अरमानो और कुछ ख्वाबों के साथ सोया
सोच रहा था , कितना खुशनसीब हूँ मैं
जो इस ज़िन्दगी में,मैंने सब है पाया, कुछ न खोया !!
कुछ अरमान थे मेरे कि अब हर जगह हो खुशहाली
मन में न हो कोई नफरत , कोई दिल न हो प्यार से खाली
इतना प्यार हो कि सुकून हर दिल में भर जाए
यह प्यार आँखों में आंसू बनके उमड़ आये
क्यूंकि यह आँखें कब से ग़म के आंसू बहा रहीं हैं
अब इन आँखों में भी तोह ख़ुशी की बहार आये
और इस बहार में इतनी हो ताक़त
कि यह नफरत के पतझड़ को अपनी भुजाओं में जकड जाये !!
इक ख्वाब देखा सुनहरे कल का
जिसमें एक भी अंश न हो बीते पल का
क्यूंकि बीते पल को ही तोह ग़म का लम्हा कहा है
जिसमें कभी आंसू तोह कभी लहू बहा है
किसी कि नादानी में किसी के प्रतिशोध में
कभी सरहद के इस पार , कभी उस पार
बहती रही है सदा, यह लहू की धार !!
अब तो बस येहीं चाहूं मैं कि कोई दामन लहू से लाल न हो
लाल हो !! तो हो रंगों से , गुलाल से
बिछड़े पंछी भी लौट के आयें अपनी डाल से
और बनाये मिलकर इक प्यारा सा घोंसला
नफरत को मिटा के प्रेम को बढ़ने का दें हौसला !!
इस तरह प्यार अगर पनपेगा
गोरी कलाई में चूड़ी बनके खनकेगा
तो कितनी खुश होगी यह दुनिया
यह दुआ है मेरी बस फैले खुशियाँ ही खुशियाँ !!
अचानक आँख खुली तो देखा सवेरा हो चुका था
चाँद भी रौशनी में खो चुका था
अँधेरा अपनी गहराइयों को समेट के कुछ देर पहले सो चुका था !
फिर कुछ सुना ! जैसे कोई रोया हो
लगा शायद आज फिर किसी ने कुछ खोया हो
पता चला कि बीती रात सरहद पर कुछ गोलियां थी चली
कुछ ख्वाब दफनायें गए कुछ अरमान मार डाले
और इस तरह सुबह कि लाली पे ग़म की बदरा छा गयी!
यह ख्वाब वहीँ थे जो मैंने देखे थे
हाय!! इन्हें पूरा होने से पहले ही मौत आ गयी !!
इसी बात का तो रोना है दोस्तों
कुछ पता नहीं इस हार जीत के खेल में किसने किसको मारा
कोई न कोई जीता तो ज़रूर लेकिन इस जंग में हमेशा इंसान ही हारा !!
waah waah waah!!!
ReplyDeleteisse padhke aankho se aansu chalak aaye...
hey....its very well written...u cud get it published man!!!
ReplyDeleteHmm..yeah will chk out for that..Thnx :)
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